लखनऊ: ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पंचायतीराज विभाग ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के तहत गोवर्धन परियोजना को गति दी है।
ललितपुर जनपद की ग्राम पंचायत कारीपहाड़ी में स्थापित 85 घनमीटर क्षमता वाला बायोगैस संयंत्र पूरी तरह संचालित हो रहा है। इस मॉडल ने स्वच्छ ऊर्जा, ग्रामीण आय और आजीविका के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिणाम देकर पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
12 परिवारों को पाइपलाइन से स्वच्छ ऊर्जा
संयंत्र से उत्पादित बायोगैस 12 परिवारों को प्रतिदिन सुबह-शाम पाइपलाइन के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे ग्रामीणों को स्वच्छ, सुरक्षित और सस्ती ऊर्जा मिल रही है।
बायोगैस से बिजली उत्पादन और चक्की संचालन
संयंत्र की गैस से 15 KVA जेनरेटर चलाकर बिजली उत्पन्न की जा रही है।
उत्पादित बिजली का उपयोग पंचायत परिसर में बने दो कक्षों में स्थापित आटा चक्की के संचालन में किया जा रहा है।
कम लागत पर आटा पिसाई सुविधा उपलब्ध होने से आसपास के गाँवों के लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं।
उपयोग शुल्क और आय
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लाभान्वित परिवार: ₹250 प्रतिमाह गैस शुल्क
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आटा पिसाई शुल्क: ₹1 प्रति किलो
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जैविक खाद (स्लरी) किसानों को वितरित
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कुल आय ₹3,05,990 ग्राम पंचायत के OSR खाते में जमा
यह आय पंचायत के वित्तीय स्वावलंबन को मजबूत कर रही है।
स्थानीय रोजगार सृजन
संयंत्र संचालन के लिए एक स्थानीय किसान को केयरटेकर के रूप में नियुक्त किया गया है, जिन्हें ₹5000 मानदेय दिया जा रहा है।
मंत्री का वक्तव्य
पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि
“गोवर्धन परियोजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, स्वच्छता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन का महत्वपूर्ण माध्यम है। कारीपहाड़ी का मॉडल पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा स्रोत है।”
निदेशक पंचायतीराज का वक्तव्य
निदेशक अमित कुमार सिंह ने कहा कि
“यह परियोजना साबित करती है कि सही प्रबंधन से अपशिष्ट को ऊर्जा, आय और आजीविका के उपयोगी स्रोत में बदला जा सकता है। विभाग पूरे प्रदेश में ऐसी सफल पहलें विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
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