लखनऊ: लखनऊ के विकास खण्ड गोसाईंगंज की ग्राम पंचायत बक्कास ने ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करते हुए ODF Plus का दर्जा प्राप्त किया है। स्वच्छता को आय सृजन से जोड़ते हुए बक्कास ने आत्मनिर्भर ग्राम पंचायत का सफल मॉडल प्रस्तुत किया है।
स्वच्छता से आत्मनिर्भरता तक: बक्कास पंचायत का प्रेरक मॉडल
ग्राम पंचायत बक्कास में वर्मी कम्पोस्ट पिट, खाद पिट और नेडप पिट का निर्माण किया गया है। ठोस कचरे के निस्तारण हेतु ई-रिक्शा और साइकिल के माध्यम से डोर-टू-डोर कचरा संग्रह किया जा रहा है। इसके बदले प्रत्येक घर से ₹30 मासिक यूज़र चार्ज लिया जाता है। एकत्रित कचरे को आरआरसी सेंटर में पृथक कर वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार की जाती है, जिसे बाजार में बेचकर आय अर्जित की जा रही है।
अब तक पंचायत को यूज़र चार्ज से ₹84,600 और वर्मी कम्पोस्ट बिक्री से ₹32,250 की आय हुई है। इस प्रकार बीते छह महीनों में कुल आय ₹1,16,850 पहुँच चुकी है, जो ग्राम पंचायत की आर्थिक आत्मनिर्भरता का उदाहरण है। साथ ही, इस मॉडल ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ाए हैं।
तरल अपशिष्ट प्रबंधन में बड़ी उपलब्धि
ग्राम की नालियों और जलाशयों में सिल्ट कैचर और फिल्टर चेंबर का निर्माण किया गया है, जिससे जलभराव और गंदगी की समस्या समाप्त हो गई है। समुदाय की सक्रिय भागीदारी के चलते गाँव की सड़कों पर पहले दिखाई देने वाले कचरे के ढेर अब पूरी तरह समाप्त हो चुके हैं।
पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण
नियोजित प्रयासों और तकनीक आधारित प्रबंधन के परिणामस्वरूप बक्कास ग्राम पंचायत आज स्वच्छता, सुशासन और सतत विकास का प्रेरणादायक मॉडल बन गई है। यह मॉडल अन्य ग्राम पंचायतों के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्य स्तर पर भी इस पहल की सराहना की गई है, और विभाग इस मॉडल को अन्य पंचायतों में लागू करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
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