बांग्लादेश: बांग्लादेश में हाल ही में शेख मुजीबुर्रहमान की निशानियों को मिटाने के कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर पहले ही करेंसी नोटों से हटा दी गई थी। अब, हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ‘जय बांग्ला’ को राष्ट्रीय नारे के दर्जे से भी हटा दिया है।
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में हो रहे ये बदलाव राष्ट्रीय और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गए हैं। ‘जय बांग्ला’ को 1971 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक माना जाता है, जिसे शेख मुजीबुर्रहमान ने लोकप्रिय बनाया। 2020 में, शेख हसीना सरकार के दौरान इसे राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था। हालांकि, नई अंतरिम सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए इसे अब राष्ट्रीय नारे का दर्जा खत्म कर दिया है।
यह बदलाव बांग्लादेश की राजनीति में नई बहस छेड़ रहे हैं। मुजीब समर्थक इसे उनकी विरासत और स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ साजिश मानते हैं, जबकि सरकार इसे न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बताती है। यह देखना अहम होगा कि यह निर्णय देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक संरचना को कैसे प्रभावित करता है।
**बांग्लादेश: शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत पर सवाल**
बांग्लादेश में हाल ही में शेख मुजीबुर्रहमान की निशानियों को मिटाने के कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर पहले ही करेंसी नोटों से हटा दी गई थी। अब, हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ‘जय बांग्ला’ को राष्ट्रीय नारे के दर्जे से भी हटा दिया है।
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में हो रहे ये बदलाव राष्ट्रीय और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गए हैं। ‘जय बांग्ला’ को 1971 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक माना जाता है, जिसे शेख मुजीबुर्रहमान ने लोकप्रिय बनाया। 2020 में, शेख हसीना सरकार के दौरान इसे राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था। हालांकि, नई अंतरिम सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए इसे अब राष्ट्रीय नारे का दर्जा खत्म कर दिया है।
यह बदलाव बांग्लादेश की राजनीति में नई बहस छेड़ रहे हैं। मुजीब समर्थक इसे उनकी विरासत और स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ साजिश मानते हैं, जबकि सरकार इसे न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बताती है। यह देखना अहम होगा कि यह निर्णय देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक संरचना को कैसे प्रभावित करता है।
बांग्लादेश में हो रहे बदलाव: 10 मुख्य बिंदु
- शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाई गई
बांग्लादेशी करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटा दी गई। - ‘जय बांग्ला’ का दर्जा समाप्त
सुप्रीम कोर्ट ने ‘जय बांग्ला’ को राष्ट्रीय नारे का दर्जा खत्म कर दिया। - हाई कोर्ट का फैसला पलटा गया
2020 में हाई कोर्ट ने ‘जय बांग्ला’ को राष्ट्रीय नारा घोषित किया था, जिसे अब पलटा गया। - 1971 के संग्राम का प्रतीक
‘जय बांग्ला’ नारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भावनात्मक और राजनीतिक प्रतीक था। - शेख हसीना सरकार का पतन
5 अगस्त 2023 को शेख हसीना सरकार गिरने के बाद बदलाव तेज हुए। - अंतरिम सरकार का कदम
नई अंतरिम सरकार ने शेख मुजीब की विरासत से जुड़े प्रतीकों में बदलाव किए। - सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायाधीश सैयद रिफात अहमद की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह निर्णय सुनाया। - राष्ट्रीय नारे पर बहस
‘जय बांग्ला’ को हटाने पर राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस तेज हो गई है। - मुजीब समर्थकों का विरोध
समर्थकों ने इसे शेख मुजीब की विरासत को मिटाने की साजिश बताया। - देश की राजनीतिक दिशा पर असर
यह कदम बांग्लादेश के राजनीतिक और सांस्कृतिक भविष्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
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