लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इस बार छात्रों और मेश के कर्मचारियों की वजह से नहीं बल्कि पूर्व कुलपति व वर्तमान कुलपति, कुल सचिव की वजह से विवाद सामने आया है। जिसके चलते गुरुवार को पूर्व कुलपति प्रो० माहरुख मिर्जा को काली पट्टी बांधकर धरने पर बैठना पड़ा। हालांकि, प्रशानिक भवन के बाहर धरने पर बैठे प्रोफेसर को पुलिस ने समझा-बुझाकर शांत कराया। वहीं हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। प्रोफ़ेसर ने कुलपति पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मनमाने तरीके से उनका वेतन रोका है। यही नहीं इस संबंध में उनके द्वारा राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भी शिकायत की गई है।
माहरुख ने कुलसचिव पर लगाया धन उगाही का आरो
प्रो० माहरुख मिर्जा ने बताया कि उनके ऊपर अनैतिक दबाव बनाया जा रहा है। इसके साथ ही और शासन को भेजे गये शिकायत पत्रों की जाँच कर अति शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि विवि में नियमों की खुली अवहेलना की जा रही है। कुलसचिव कार्यालय से डी०लिट थेसिस के कागजों को गायब होने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों का वेतन राज्यपाल के आदेश के बावजूद बायोमैट्रिक उपस्थिति के बगैर निकाला जा रहा है। यही नहीं कुलसचिव अजय कृष्ण यादव और विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर धन उगाही का आरोप लगाया है।
प्रोफेसर ने बड़ा आंदोलन करने की दी चेतावनी
पूर्व कुलपति ने कहा कि अगर एक सप्ताह में वेतन नहीं आता है तो वो विधानसभा के पास गाँधी प्रतिमा पर एक बड़ा आंदोलन करेगें। जिसमें वर्तमान में विश्वविद्यालय के भ्रष्ट सिस्टम में लिप्त अधिकारियों का पूरा कच्चा चिटठा राज्यपाल व शासन तक पहुंचाएंगे। हालांकि इस सम्बंध में NBT ऑनलाइन ने भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० नारेंद्र बहादुर सिंह से बातचीत करने की कोशिश की। तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। बता दें कि विश्वविद्यालय कई मामलों की वजह से विवादों में बन चुका है।