हाईलाइट
बसखारी थाने में तीन वर्ष से तैनात दिवान उमाशंकर मिश्रा स्थानांतरण होने बाद थाने से क्यो नहीं जा रहे हैं जो चर्चा का विषय बना हुआ है
उमा शंकर मिश्रा पदोन्नत होकर एस आई बन चुके हैं जिनका स्थानांतरण गैर जनपद के लिए हुआ है लेकिन बसखारी थाना छोड़कर गैर जनपद में चार्ज नहीं ले रहे हैं।
स्थानांतरण होने के बाद बसखारी थाने में डेरा डाल करते है धन उगाही जिससे पीड़ित जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है
आखिर कप्तान साहब की नजर इन पर कब जाएगी ? आखिर क्यो नही इनके ऊपर पड़ रही है किसी उच्च अधिकारी की नज़र ?
किसकी मेहरबानी इनके ऊपर है जो थाने में रुके हुए हैं जिससे जनता है परेशान।
स्थानांतरण होने के बाद थाने में रुके होने से जनता को न्याय मिल पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है स्थानांतरण होने के बाद बसखारी थाने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं
बसखारी थाने में 3 वर्ष से दीवान के पद पर तैनात उमा शंकर मिश्रा का गैर जनपद में स्थानांतरण हो गया है स्थानांतरण वाले थाने में चार्ज क्यों नहीं ले रहे है?
जो बिना वर्दी पहने लोगों से सेटिंग कराने में लगे रहते है।
साथ ही साथ आपको बताते चलें कि बसखारी थाने से सिर्फ उमाशंकर दीवान ही नहीं बसखारी थाने में तैनात कांस्टेबल/ड्राइवर जो पिछले कई वर्षों से बसखारी थाने को अपना निजी आवास समझ कर रह रहे हैं ।
हम बात कर रहे हैं रामबली यादव हेड कांस्टेबल की जो विगत कई वर्षों से बसखारी थाने की गाड़ी चला रहे हैं ।
मगर क्या रखा है बसखारी थाने में जो यहां पर तैनात होने के बाद कोई भी कॉन्स्टेबल या दीवान यहां की मोह माया को छोड़कर जाना नहीं चाहता ।
आखिर यहा पर क्यों अपनी पूरी नौकरी करना चाहते हैं आखिर वजह क्या है ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि बसखारी थाने में कुबेर की अकूत धन संपदा छिपी हुई हो जिसे तीन-चार साल गुजारने के बाद लोग खोद कर निकालना चाहते है। वजह क्या है आखिर बसखारी थाना न छोड़ने की ?
चाहे उमाशंकर दीवान हो या हेड कांस्टेबल /ड्राइवर रामबली यादव, सूत्र