दरगाह आस्ताने की देख रेख अब पीरज़ादगान कमेटी के हाथों

संवाददाता मोकीम खान / सैयद नवाज़

किछौछा / बसखारी वर्चस्व की लड़ाई व वर्षों से चल रही गुटबाजी के चलते आए दिन सुर्खियों में रहने वाला विश्व विख्यात किछौछा दरगाह नगरी का एक मामला फिर सुर्खियां बटोर रहा है। बताते चलें कि सिविल जज शैलेश कुमार की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। उक्त आदेश में पीरजादगान इंतेजामिया कमेटी के पक्ष में फैसला सुनाया गया है।

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जिससे पीरजादगान इंतेजामिया कमेटी के सदस्यों में खुशी है। वही सज्जादानशीन मोहिउद्दीन अशरफ को झटका लगा है। आपको बता दें सैयद मखदूम अशरफ दरगाह के सज्जादानशीन मोहिउद्दीन अशरफ तथा सैयद खलीक अशरफ आदि के खिलाफ मूल वाद संख्या 82/2019 जिसमें सैयद मोहिउद्दीन अशरफ ने दरगाह की संपत्ति पर सज्जादानशीन एकाधिकार बनाए रखना दरगाह के रखरखाव में पीरजादगान इंतेजामिया कमेटी के अनावश्यक हस्तक्षेप न करने की अपील किया था वहीं अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सैयद मोहिउद्दीन अशरफ द्वारा प्रस्तुत आवेदन साथ 7 ग² वास्ते अस्थायी निषेधाज्ञा निरस्त किया जाता है।

तदनुसार आपत्ति निस्तारित की जाती है। वाद के निस्तारण तक यह निर्देशित किया जाता है। कि दरगाह से प्राप्त आय एवं श्रद्धालुओं के हित को ध्यान में रखते हुए प्रतिवादीगण पीरजादगान इंतेजामिया कमेटी को यह स्वतंत्रता होगी कि प्रबंध समिति के माध्यम से चंदा व स्वेच्छा दान का प्रबंध करें एवं दरगाह की साफ-सफाई एवं व्यवस्था में किये गये आय-व्यय का लेखा-जोखा रखे जिसे मांगे जाने पर उपलब्ध करा सके अदालत ने स्पष्ट भी किया कि मखदूम अशरफ की तमाम प्रापर्टी वक्फ नहीं है। बल्कि मखदूम अशरफ के वंशजों की प्रॉपर्टी है। अदालत ने पीरजादगान इन्तेज़ामिया कमेटी को चन्दा अथवा स्वैछिक दान लेने व दरगाह की साफ सफाई व व्यवस्था करने को न्यायोचित माना हालांकि सभी का लेखा जोखा रखने का भी निर्देश दिया है।

वर्चस्व की लड़ाई व गुटबाजी के चलते आए दिन सुर्खियों में रहता है। विश्व विख्यात किछौछा

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