एपीजे अब्दुल कलाम: सेवा और त्याग का जीवन

एपीजे अब्दुल कलाम: सेवा और त्याग का जीवन

अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और दूरदर्शी नेता थे। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।

कलाम 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में शामिल हुए। उन्होंने पृथ्वी मिसाइल और अग्नि मिसाइल के विकास सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया। वह सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी-3) के परियोजना निदेशक भी थे, जिसने 1980 में भारत के पहले उपग्रह को कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

1992 में कलाम को रक्षा मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) के अध्यक्ष भी थे। 1998 में, उन्होंने पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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कलाम को 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। उन्होंने पांच साल की अवधि तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। अपने राष्ट्रपति पद के दौरान, उन्होंने शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के महत्व पर भी जोर दिया।

कलाम एक महान वैज्ञानिक, दूरदर्शी नेता और विनम्र इंसान थे। उन्हें भारत के विकास में उनके योगदान और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाएगा।

उनके कुछ कथन:एपीजे अब्दुल कलाम

  • “सफल होने के लिए, आपके पास जबरदस्त दृढ़ता, कड़ी मेहनत और समर्पण होना चाहिए।”
  • “मेरा मानना है कि 21वीं सदी में भारत एक विकसित राष्ट्र बन सकता है।”
  • “भविष्य की भविष्यवाणी करने का सबसे अच्छा तरीका उसे बनाना है।”
  • “शिक्षा भविष्य का पासपोर्ट है, क्योंकि कल उनका है जो आज इसकी तैयारी करते हैं।”
  • “भारत एक महान भविष्य वाला युवा राष्ट्र है। हमारे पास महान चीजें हासिल करने की क्षमता है।”

कलाम का जीवन और कार्य सभी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने हमें दिखाया कि अगर हम कड़ी मेहनत करें और अपने सपनों को कभी न छोड़ें तो कुछ भी संभव है। वह एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने अपना जीवन भारत की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहेगी।

कलाम की मृत्यु और विरासत

कलाम का 27 जुलाई 2015 को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु भारत के लिए एक बड़ी क्षति थी। वह एक राष्ट्रीय प्रतीक और लाखों लोगों के लिए आदर्श थे।

कलाम की विरासत सेवा, त्याग और प्रेरणा की है। उन्हें भारत के महानतम वैज्ञानिकों और नेताओं में से एक के रूप में याद किया जाएगा। उनके काम ने भारत को आज आधुनिक राष्ट्र बनाने में मदद की है। वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

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