उत्तर प्रदेश: डॉ. राधिका अवस्थी एक आहार विशेषज्ञ और मेंस्ट्रुअल एडुकेटर है। वे बताती हैं कि शोध के दौरान उन्होंने कई टूल्स बनाए जिससे महिलाओं और किशोरियों को मेंस्ट्रुअल हाइजीन की समस्याओं का सही ज्ञान मिल सके। अपने रुझान को एक नई दिशा देने के लिए, उन्होंने “प्रोजेक्ट आफ्टर शी केयर्स” की शुरुआत की। 2016 से, कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा आप अपने इस सपने को साकार करने का प्रयास करती रहीं है।
वह आगे कहती है कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि किसी भी तरह की लापरवाही महिलाओं को समस्याएं पैदा करती है। महिलाओं के शरीर में हर महीने होने वाली यह प्राकृतिक प्रक्रिया है कि वे मां बनने के योग्य हैं। हालाँकि, पीरियड्स के बारे में समाज में फैले गलत धारणा और भ्रम के चलते, मेंसुरेशन हाइजीन एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय रहा है।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए
जननांगों की साफ-सफाई का रखें ध्यान
जननांगों की सफाई पर ध्यान दें मासिक धर्म के दौरान जननांगों की सफाई करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है। सैनिटरी नैपकिन को बाहर निकालने के बाद भी बैक्टीरिया शरीर में रह सकते हैं। डॉ. अवस्थी के अनुसार, जननांगों की सफाई के लिए ज्यादातर लोग कैमिकल युक्त उत्पादों का उपयोग करते हैं। जननांगों को हर बार साफ पानी से साफ करें। साबुन का बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
*सैनिटरी नैपकिन का सही तरीके से डिस्पोजल जरूरी*
: हर बार पैड का उपयोग करने के बाद इसे सही तरीके से निकालना चाहिए। सैनिटरी नैपकिन को कागज में अच्छी तरह से लपेटकर कूड़ेदान में डालें, फिर हाथ साफ करना न भूलें। उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन को खुले में फेंकने से बीमारी और कीटाणु फैल सकते हैं।
सैनिटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलते रहें
मासिक धर्म के दौरान शरीर से गंदा रक्त निकलता है जिसे सैनिटरी नैपकिन अवशोषित करती रहती है। इस दौरान शरीर कई प्रकार के संक्रमण के प्रति अति संवेदशील हो जाता है। ऐसे में ज्यादा देर तक एक ही पैड के इस्तेमाल से जननांगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इन दिक्कतों से बचे रहने के लिए सैनिटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलते रहें। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखते हुए हर 3-4 घंटे पर पैड को जरूर बदलें। कोशिश करे की बायोडिग्रेडेबल पैड का ही इस्तेमाल करे
पानी पीना अनिवार्य है
डॉ अवस्थी ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान आपका पीएच लेवल भी बढ़ सकता है, इसे नियंत्रित रखने के लिए समय-समय पर पानी पीते रहना महत्वपूर्ण है। पानी पीते रहने से आपको डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है और संक्रमण का खतरा भी कम हो सकता है।