उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला नेजा मेला, जो सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की स्मृति में आयोजित किया जाता है, इस वर्ष विवादों में घिर गया है। आरोप है कि सम्भल पुलिस के अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) श्रीशचंद्र ने मेले के आयोजकों को अनुमति देने से इनकार करते हुए सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के प्रति आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया।
नेजा मेला: एक ऐतिहासिक परंपरा
सम्भल में नेजा मेला की परंपरा सदियों पुरानी है, जो सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की याद में आयोजित की जाती है। इस मेले में विशेष परंपराएँ निभाई जाती हैं, जैसे कि नवविवाहित दुल्हनों का सजना-संवरना और मेले में शामिल होना। यह मेला स्थानीय संस्कृति और समुदाय के बीच सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।
विवाद की जड़
क्या यूपी पुलिस के अधिकारी सत्ताधारी दल के पदाधिकारी बन गए हैं? ये @sambhalpolice के ASP श्रीशचंद्र हैं। वो महान योद्धा और सूफी संत सैय्यद सालार मसूद ग़ाज़ी रहमतुल्लाह अलैह के लिए विवादित एंव आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। श्रीशचंद्र जैसी भाषा बोल रहे हैं, वैसी भाषा… pic.twitter.com/8DfSLNC0L9
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) March 17, 2025
मेले के आयोजकों ने परंपरागत रूप से मेले के आयोजन के लिए पुलिस से अनुमति माँगी थी। आरोप है कि इस दौरान ASP श्रीशचंद्र ने सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के प्रति आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उनकी इस टिप्पणी से स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया है।
सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी: इतिहास और विवाद
सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी, जिन्हें ग़ाज़ी मियाँ के नाम से भी जाना जाता है, 11वीं शताब्दी में महमूद गज़नवी के भांजे और सेना प्रमुख थे। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, उन्होंने भारत पर आक्रमण किए थे, लेकिन स्थानीय लोककथाओं में उन्हें सूफी संत के रूप में भी मान्यता मिली है। उनकी स्मृति में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मेले आयोजित होते हैं, जिनमें सम्भल का नेजा मेला प्रमुख है।
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