जल संचयन एवं जल संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण भी जरूरी- स्वतंत्र देव सिंह

जल संचयन एवं जल संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण भी जरूरी- स्वतंत्र देव सिंह
  • पिछले 9 वर्षों में भूजल स्तर में वृद्धि, बुन्देलखण्ड और विंध्य क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन
  • “जल जीवन मिशन की योजनाओं में जल आपूर्ति के लिए स्रोत स्थिरता सुनिश्चित करने की वर्तमान स्थिति एवं अवसर” विषय पर कार्यशाला का आयोजन।
  •  जल निगम (ग्रामीण) के प्रबंध निदेशक डॉ. बलकार सिंह समेत कई वरिष्ठ मौजूद रहे
  •  डॉ. बलकार सिंह ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन जरूरी है

लखनऊ: यूपी में आज जल संसाधनों के संरक्षण का कार्य युद्ध स्तर पर हो रहा है, जिसका परिणाम है कि पिछले नौ वर्षों में भूजल स्तर में वृद्धि हुई है। विशेषकर बुन्देलखण्ड और विंध्य क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। जिस बुन्देलखण्ड में महिलाएँ पानी के लिए तरसती थीं, आज वहाँ जल जीवन मिशन ने हर घर में नल से जल पहुँचा दिया है।

जल संचयन के लिए तालाबों का जीर्णोद्धार, चेक डैम एवं अमृत झीलों का निर्माण तथा नदियों एवं तालाबों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। भूजल सप्ताह के तहत गोमती नगर के विभूतिखंड स्थित एक होटल में जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने ये बातें कहीं।

भूजल विभाग और आगा खान फाउंडेशन ने “जल जीवन मिशन की योजनाओं में जल आपूर्ति के लिए स्रोत स्थिरता सुनिश्चित करने की वर्तमान स्थिति और अवसर” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। मुख्य अतिथि रहे जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जल संचयन कोई छोटा काम नहीं है। एक बाल्टी पानी बचाकर हम भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में यूपी विकास के पथ पर आगे बढ़ चुका है। राज्य सरकार के साथ सामाजिक संगठनों की भागीदारी ने समाज की सोच को बदल दिया है। स्वच्छता की तरह जल संचयन भी एक जन आंदोलन बन गया है।

जल शक्ति मंत्री ने कहा कि जब राज्य सरकार के साथ समाज जल संरक्षण एवं जल संचयन की दिशा में कार्य कर रहा है तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ जल ही स्वस्थ रहने का एकमात्र उपाय है। ग्राम, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर स्वच्छ पेयजल, जल संचयन एवं जल संरक्षण पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। इससे पहले जल निगम ग्रामीण के प्रबंध निदेशक डॉ. बलकार सिंह ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन भी जरूरी है। आज यूपी में 15 हजार अमृत सरोवर हैं।

उन्होंने कहा कि आज जल जीवन मिशन से ग्रामीण परिवारों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है। कार्यशाला में भूजल प्रबंधन पर चर्चा हुई जिसमें वक्ताओं ने अपने विचार साझा किये। इसके बाद प्रोजेक्ट इंजीनियर अनुभव भटनागर ने दर्शकों को भूजल बोरहोल मॉनिटरिंग ऐप के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऐप का उपयोग भूजल स्तर की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। इस मौके पर भूगर्भ जल विभाग के निदेशक वीके उपाध्याय, बांदा के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आर जगत साही समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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